कुंडली के भाव

 कुंडली के 12 भावो के बारे में विस्तृत जानकारी  


जैसा की हमे पता है कुंडली में 12 भाव या घर होते है तथा इन 12 भाव के अलग अलग कार्य होते है हम जिस भी जातक की कुंडली देखते है उस जातक के प्रशन्न के अनुसार हमे उस घर के बारे में देखना होगा जिस से सम्बंधित जातक का प्रशन्न होगा उदारण के लिए यदि जातक को हमे धन लाभ के बारे में जानना है तो हमे जातक का धन लाभ वाला भाव देखना होगा | 




नीचे हमने कुंडली के 12 भाव के बारे में विस्तृत जानकरी साँझा की है -  

कुंडली का प्रथम भाव – 

इस भाव को लग्न भाव भी कहते है यह भाव या घर देह ,तन, लग्न, शरीर, वर्ण, आकृति, यश-मान, गुण, विवेकशक्ति, सुख-दुःख, प्रवास,तेज, बल, प्रारब्धयोग, जिग्स्या, मस्तिष, स्वभाव, प्रतिष्ठा, आयु, निद्रा, दादी, स्त्री का स्वास्थ, व्यक्तित्व, शारीरिक चिन्ह, धैर्य, विवेक, रोग क्षमता से सम्बन्धित होता है |

कुंडली का दूसरा भाव – 

इसे धनभाव भी कह सकते है या घर विवेक परिवार, कुटुम्ब सुख, स्वरविचार, पति, विपुल, धन सम्पदा से सम्बंधित होता है |

कुंडली का तीसरा भाव –

तीसरा भाव – पराक्रम | हाथ , कान , महत्वाकांक्षा, नौकर, सुख दुःख, रहन – सहन, उद्होग, यश-अपमान , मित्रता, चल अचल सम्पदा से सम्बन्धित होता है |
 

कुंडली का चौथा भाव –

माँ का भाव – विद्या विचार, माँ का सुख,क्रषि कर्म, जमीन जायदाद, गृह शुख,जीवन उन्नति, कार्य प्रसाधन, संस्कार- दीक्षा – स्नेह सुख, ह्रदय, फेफड़े, पिता के संस्कार से सम्बन्धित होता है |
 

कुंडली का पांचवा भाव –

 विद्या संतान | - बुद्धि विवेक, विद्या, योग, लेखन, सट्टा लाटरी, राजनीती, रोग भाग ज्ञान, आमाशय , गर्व धारण से सम्बन्धित होता है |
 

कुंडली का छटवां भाव –

छटवा भाव- रोग, शस्त्रू, ऋण – व्यवसन, चोट, घाव, रोग, मामा पक्ष, चोरीभव, हानि, विवाद, चिंता, शंका, दुर्घटना, पाचन क्रिया, धोखा से सम्बन्धित होता है |
 

कुंडली का सप्तम भाव –

सप्तम भाव – स्त्री विवाह | स्त्री का रूप रंग, विवाह, लाभ हानि, धन लाभ, काम वासना, जीवन साथी की आयु,मुकदमा, सुंदर काम वाला, काम क्रीडा , से सम्बन्धित होता है |

कुंडली का आठवा भाव –

आठवा भाव- आयु | रिश्वत, लाटरी, ससुराल से लब्ज, चिंता, शत्रु, गुप्त रोग, स्त्री लाभ, आपदाए, भूत – प्रेत विचार से सम्बन्धित होता है |
 

कुंडली का नवम भाव –

नवम भाव- भाग्य |- जल यात्रा , वायु यात्रा, दान , धर्म, पौत्र सुख, सपन्नता, आदर्श पिता, आदर्श पुत्र , ज्ञान पिपासा से सम्बन्धित होता है |
 

कुंडली का दसम भाव –

दसम भाव- कर्म |- पिता का काम, रंग वृति, गुण, स्वभाव, नौकरी, व्यापार, मुद्रा , लक्ष्य प्राप्ति, कर्मठता, निस्कासन उत्थान –पतन, स्वप्न से सम्बन्धित होता है |
 

कुंडली का ग्याहरवा भाव –

ग्यारवा भाव- आय का भाव | - धन लाभ, मित्र शुख, वाहन लाभ, मशीनरी कार्य मेल मिलाप, क्रिया-कुशलता, कर्म कांड, देवोपासना, भाई से सम्बन्धित होता है |
 

कुंडली का बारवा भाव –

बारवा भाव- व्यव | - दूर यात्रा का विचार, व्यसन, दुराचरण, कारावास, दंड, अपव्यय,अच्छा-बुरा-विचार, मुकदमा द्रवहानि, वृद्ध अवस्था, गुप्त कार्य एवं रोग से सम्बन्धित होता है |

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