कुंडली में शुभ , अशुभ गृह पहचाने | kundali me achche grah dekhe

 कुंडली में कारक ग्रह , मारक गृह, बाधक ग्रह तथा अशुभ गृह 


कारक ग्रह – 

कुंडली में कारक ग्रह वह होते है जो किसी भी व्यक्ति को सुख, स्मर्द्धि, यश प्रशध्धि, मान सम्मान दे |


मारक ग्रह - 

मारक ग्रह वह होते है जो आपको शरीरिक तथा मानसिक कष्ट देते है | मतलब किसी भी प्रकार का कष्ट देने वाला ग्रह मारक गृह कहलायेगा |

बाधक ग्रह- 

बाधक ग्रह वह होते है जो आपके काम को रोकने का प्रयास करते है व्यक्ति जो कार्य करता है उसमे कोई ना कोई परेशानी आती है |




कारक गृह कैसे पहचाने  ?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति की लग्न कुंडली में  का पहला, पाचवा व नवम घर कारक का घर होता है ,  इन घरो में जिस नंबर की राशि होगी उन राशियों का गृह  स्वामी कारक ग्रह कहलाते है |

राशियों के गृह स्वामी जानने के लिए क्लिक करे - 


यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में तीनो कारक ग्रह एक साथ बैठे हो तो ऐसे में राज योग बनता है यदि ये कारक ग्रह एक दूसरे से सातवे स्थान पर बैठे हो तो भी कारक ग्रह से राज योग बनता है| कारक ग्रह व्यक्ति को उन्नति देते है |


उदाहरण - 


उपयुक्त कुंडली में पहले भाव या घर में 6 नंबर की राशि है 6 नंबर कन्या की होती है और कन्या राशि का स्वामी गृह होता है बुध | पाचवे घर ,में 10 नंबर की राशि है 10 नंबर की राशि का स्वामी गृह होता है शनि | इसी प्रकार नवम भाव में 2 नंबर की राशि है और 2 नंबर की राशि का स्वामी गृह शुक्र होता है तो उपयुक्त कुंडली में कारक गृह बुध, शनि और शुक्र हुए |


मारक गृह कैसे पहचाने ?

मारक गृह व्यक्ति को शाररिक कष्ट देता है यदि शाररिक कष्ट ना भी दे तो आर्थिक कष्ट देता है मारक गृह पहचान के लिए दूसरा और सातवा घर देखा जाता है | उदाहरण के लिए उपर जो हमने कुंडली बताई है उसमे दूसरे घर में 7 नंबर की राशि है 7 नंबर की राशि का स्वामी गृह शुक्र होता है और सातवे घर में 12 नंबर की राशि है जिसका स्वामी ग्रह ब्रहस्पति होता है | अतः इस कुंडली में मारक गृह शुक्र व ब्रहस्पति हुए , परन्तु शुक्र कारक गृह भी है तो यहा पर शुक्र का नकारात्मक प्रभाव कम हो जायेगा शुक्र यहा जातक को कम नुकशान पंहुचा पायेगा तो यह प्रबल मारक ग्रह ब्रहस्पति होगा |


बाधक ग्रह कैसे पहचाने ?

बाधक ग्रह व्यक्ति के काम में बाधाये डालते है  इससे जानने के लिए हमे राशियों का स्वभाव पता होना चाहिए नीचे हमने राशियों का स्वभाव को बताया है - 

  • यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में लग्न भाव में 1,4,7,10 नंबर की राशि बैठी है तो ये चर राशिया है ऐसे जातको का 11 व घर का स्वामी बाधक है | 

  • यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में लग्न भाव में 2,5,8,11 नंबर की राशि बैठी है तो ये स्थिर राशिया है ऐसे जातको का 9 व घर का स्वामी बाधक है | 

  • यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में लग्न भाव में 3,6,3,12 नंबर की राशि बैठी है तो ये दिव्स्वभाव राशिया है ऐसे जातको का 7 व घर का स्वामी बाधक है | 
यदि हम उदाहरण के लिए उपर की कुंडली देखे तो उसमे लग्न भाव में 6 नंबर की राशि कन्या बैठी हैं यहा से 7 वा घर देखा जायेगा यहा इस कुंडली में 7 वे घर में 12 नंबर की राशि है जिसका स्वामी ब्रहस्पति होता है तो इस प्रकार यह ब्रहस्पति बाधक ग्रह होगा |

  मारक गृह या बाधक गृह व्यक्ति के जीवन पर काफी प्रभाव डालते है कारक या मारक ग्रहों के दशा , महादशा या अंतर दशा जब आती है तब यह व्यक्ति की नुकशान पहुचाते है | 

अशुभ ग्रह कैसे पहचाने ?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी की भी कुंडली में 2,3,6,7,8,11,12 वे घर का स्वामी जो 2 बार इसी संख्या में आ जाए तो ऐसा ग्रह प्रबल मारक होता है जब भी इस प्रबल इस गृह की दशा या महादशा आयेगी तब यह अत्यंत कष्ट देगा |

उदाहरण के लिए उपर बताई हुई कुंडली में तीसरे घर में 8 नंबर की राशि है जिसका स्वामी गृह मंगल होता है और आठवे घर में 1 नंबर की राशि है जिसका स्वामी गृह भी मंगल होता है इस प्रकार तीसरे और आठवे घर का स्वामी एक ही है ( मंगल )  इस लिए मंगल यहा प्रबल मारक ग्रह है | ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि आपके जीवन में अडचने है तो आप किसी अच्छे ज्योतिष को अपनी कुंडली दिखा कर उपाए है इससे आपके जीवन में असुभ ग्रहों का पप्रकोप कम हो जायेगा |


कुंडली कैसे देखे ? सीखे - 

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