कुंडली में शनि का फल | shani ka fal
कुंडली में शनि का फल
शनि की उच्च व नीच राशियाँ
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि व्यक्ति की कुंडली में शनि 10 और 11 नम्बर की राशि के साथ है तो शनि आपको अच्छा परिणाम देंगे और शनि महाराज 7 नंबर की राशि के साथ उच्च के माने जाते है जो कि जीवन में अच्छा रिजल्ट देते है वही यदि शनि 1 नंबर की राशि के साथ है तो शनि नीच के माने जाते है ऐसे में शनि जीवन में ख़राब रिजल्ट देते है ऐसे जातको को शनि महाराज का उपाए करवाना चाहिए क्योकि शनि सर और आँख के रोग देते है |
शनि की योगकारक राशियाँ
शनि तुला, वृष, मकर, कुम्भ, मिथुन, कन्या के लिए योग कारक होते है अथार्थ जिन जातको की लग्न कुंडली में ये राशियों होंगी उनके लिए शुभ है |
शनि की अशुभ राशियाँ
जिन जातको की लग्न भाव में कर्क, सिंह, धनु राशि है ऐसे जातको के लिए शनि मारकेश होते है |
शनि की द्रष्टि
शनि महाराज की द्रष्टि 3,7,10 की होती है अथार्थ शनि अपनी स्थान से 3,7,10 नंबर के घर को देखते है | ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माना जाता है शनि महाराज धीरे धीरे अपना फल देते है कहा जाता है ऐसे जातक जिनकी कुंडली के लग्न भाव में 10 या 11 नंबर की राशि होती है ऐसे लोग शनि की द्रष्टि के कारण अपना कार्य धीरे धीरे करते है |
शनि का लग्न भाव या कुंडली के प्रथम घर में होने पर-
यदि किसी जातक की कुंडली में पहले या लग्न भाव में शनि विराजमन हो तो शनि की द्रष्टि तीसरे घर , सप्तम भाव, और दसवे घर पर पड़ेगी | तीसरे घर में शनि की द्रष्टि पड़ने से भाइयो के सुख में कमी आती है इसके साथ ही भाइयो के स्वभाव में धीमा पन आयेगा तथा जातक तो उसके जीवन साथी के स्वभाव में भी आलस्यपन आयेगा | इसके साथ ही शनि की द्रष्टि दसमे भाव में पड़ने से रोजगार तथा व्यवसाय में अच्छा फल देगी |
जातक के लग्न में शनि हो और यदि तीसरे , सातवे, दसवे में से किसी भी घर में 1 नंबर की राशि हो तो उस घर से सम्बंधित चीजों के हानि होती है | यदि लग्न में शनि हो और दसम भाव में 1 नंबर की राशि हो तो ऐसे में जातक को रोजगार तथा व्यवसाय से सम्बंधित परेशानिया उठानी पड़ती है |
शनि का दूसरे भाव में होने पर प्रभाव-
यदि किसी जातक के दूसरे भाव में शनि हो तो ऐसे मे शनि की द्रष्टि चौथे आठवे, और ग्यारवीं भाव में पड़ेगी | चौथे भाव में शनि की द्रष्टि पड़ने से घर और गाड़ी के शुख में देरी करेंगे और माता को भी कष्ट मिल सकते है | आठवे भाव में शनि की द्रष्टि होने से जातक की उम्र तो लम्बी करते है पर जीवन में समय समय कष्ट मिलते रहते है माना जाता है ऐसे जातको को गैस और वायु से सम्बंधित विकार हो सकते है | ग्यारवी भाव में शनि की द्रष्टि पड़ने से लाभ अच्छा होता है यानि शनि की दसमी द्रष्टि अच्छी होगी |
शनि का तीसरे भाव में होने पर प्रभाव-
तीसरे घर में शनि होने से शनि की द्रष्टि पांचवे, नौवे और बारवे भाव पर पड़ेगी | कुंडली में पाचवा
घर में शनि की द्रष्टि पड़ने से ऐसे जातक चीजों को बहुत धीरे सोचने वाले होते है निर्णय तेजी से नही ले पाते | छोटे भाइयों से सुख में कमी कराते है पर अध्यात्मिक ज्ञान अच्छा देता है| बारवे भाव में शनि की द्रष्टि से पैर में दिक्कत देते है और ऐसा व्यक्ति स्वभाव में कंजूस होता है |
शनि का चौथे भाव में होने पर प्रभाव-
चौथे घर में शनि यदि उच्च राशि के साथ है तो यह अच्छा नही माना जाता है उच्च राशि में होने से तकलीफे ज्यादा देता है हमने उपर शनि उच्च व नीच रशिया बता रखी है आप देख सकते है | चौथे भाव का शनि विदेश यात्राये करवाता है पर पारिवारिक सुख में कमी करता है चौथे भाव का शनि शत्रु हन्ता का योग बनता है | यदि शनि की सातवी द्रष्टि दसवे भाव में अच्छी पड़ रही है तो अच्छा लाभ करवाता है पर चौथे भाव में शनि की दसवी द्रष्टि लग्न में पडती है इसलिए ऐसे जातक का स्वभाव धीमा होता है|
शनि का पाचवे भाव में होने पर प्रभाव-
पांचवे भाव में शनि होने से शनि महाराज सातवे घर, लाभ घर और दूसरे घर को देखेंगे | पाचवे भाव में शनि होने से तीसरे द्रष्टि से सातवे घर यानि जीवन साथी को बीमार करेंगे | सातवी द्रष्टि से लाभ घर को देखेंगे जिससे कि लाभ अच्छा कराएंगे, मनोकामना पूरी करेंगे तथा दसवी द्रष्टि से दूसरे घर को देखेंगे ऐसे जातको को अपना धन सुरक्षित रखना चाहिए क्योकि ऐसे जातको का धन चोरी होने की सम्भवनाये रहती है या उधार दिया पैसा वापस आने में मुस्किल हो सकती है |
शनि का छठवे भाव में होने पर प्रभाव-
छटवे भाव का शनि अच्छा रिजल्ट देता है ऐसे जातक चीजों को जल्दी सीखते है भूख प्यास अच्छी लगती है| शनि द्रष्टि आठवे भाव पर पड़ेगी जिससे जात रोग लगे रहेंगे पर आयु लम्बी देते है | सातवी द्रष्टि पैर और व्यव भाव में पड़ेगी जिससे जातक को पैर में समस्या आ सकती है और जातको सोच विचार कर खर्च करने वाला होता है | और दसवी द्रष्टि तीसरे भाव में पड़ेगी जिससे छोटे भाइयो के सुख में कमी कराते है |
शनि का सप्तम भाव में होने पर प्रभाव-
यदि शनि सातवे भाव में है तो जीवन साथी के स्वास्थ में हानि करायंगे जीवन साथी के स्वभाव में धीमा पन लायेंगे | यदि शनि छटवे या आठवे भाव का स्वामी है और सातवे घर में बैठा है तो ऐसे जातक का जीवन साथी की मृत्यु जातक से पहले हो जाती है सातवे घर का शनि धर्म भाव को देखेंगे जिससे व्यति धार्मिक होता है| सातवी द्रष्टि लग्न भाव में पड़ेगी जिससे स्वभाव में आलस्यपन आयेगा पर ऐसा जातक न्यायवान होता है| दसमी द्रष्टि से शनि चौथे भाव को देखेंगे जिससे घर तथा गाड़ी के सुख में धीमा पन आएगा और मामा का स्वास्थ अच्छा नही रहेगा|
शनि का आठवे भाव में होने पर प्रभाव-
आठवे भाव में शनि होने से आयु लम्बी करेंगे | आठवे भाव का शनि रोजगार व्यवसाय को देखता है यदि शनि अच्छा है तो अच्छी द्रष्टि रोजगार व्यवसाय पर पड़ेगी जो की उन्नति देगी यदि शनि की द्रष्टि ख़राब पड़ रही तो व्यवसाय में रुकावट डालेंगे | सातवी द्रष्टि धन भाव पड़ेगी ऐसे जातको को धन उधार देने से बचना चाहिए माना जाता है ऐसे जातको को जीवन में एक बार धन हानि का योग अवश्य बनता है | दसमी द्रष्टि संतान भाव पर पड़ेगी जिससे देरी से होने या संतान बिलम्ब करेंगे
शनि का नौवे भाव में होने पर प्रभाव-
नोवे भाव का शनि आध्यामिक बनाते है यदि शनि नौवे भाव में अकेले बैठे हो तो ग्रस्त शुख का भी नाश कर देते है आठवे भाव की एक द्रष्टि लाभ भाव में पड़ेगी जिससे लाभ अच्छा करायगे तथा तीरसे भाव में पड़ेगी जिससे भाइयो में आभाव बनायंगे और यात्राये कर करवायंगे तथा दसमी द्रष्टि छटवे भाव पे पड़ेगी जिससे शत्रुहन्ता योग बनेगा |
शनि का दसमे भाव में होने पर प्रभाव-
दसम भाव का शनि जातक को न्याय क्षेत्र में ले जायेगा, शनि की तीसरी द्रष्टि व्यव भाव पर पड़ेगी जिससे ऐसे जातक कृपण होंगे , कम खर्चीले होते है ऐसे जातको की माँ तथा पत्नी को कष्ट होता है तथा ऐसे जातक को घर गाडी लेने के लिए परिश्रम करना पड़ता है ऐसे जातको को अपने बिजनेस पार्टनर से भी सावधान रहना चाहिए |
शनि का ग्यारवे भाव में होने पर प्रभाव-
ग्यारवी भाव का शनि अच्छा माना जाता है ऐसा शनि जातको को अच्छा धन देंगे शनि की तीसरी लग्न भाव में पड़ेगी जिसकी वजह से जातक के स्वभाव में धीमा पन लायेंगे | शनि की सातवी द्रष्टि संतान भाव में पड़ेगी जिसकी वजह से संतान में बिलम्ब करेंगे तथा दसमी आठवे भाव में पड़ेगी जिसकी वजह से रोग लगे रहेंगे पर आयु लम्बी करेंगे |
शनि का बारवे भाव में होने पर प्रभाव-
बारावे भाव में का शनि व्याह में देरी करांगे, पैर व आँखों में समस्या देंगे यहा से शनि की तीसरी द्रष्टि धन भाव में पड़ेगी धन को संभल के रखे सातवी द्रष्टि छटवे भाव पे पड़ेगी जिससे शास्त्रू हन्ता योग बनेगा तथा दसमी द्रष्टि नौवे भाव पे पड़ेगी जिससे जातक अध्यात्मक उन्नति प्राप्त करेगा |
यह शनि के सामान्य फलादेश थे ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माना जाता है यदि शनि किसी जातक की कुंडली में आठवे या बारवे भाव में है तो ऐसे जातको को कुछ उपाए करने चाहिए ताकि जातकका स्वास्थ अच्छा रहे |
शनि महाराज की असुभ युति –
शनि और सूर्य की युति
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि सूर्य एक साथ बैठे हो तो ऐसे व्यक्ति को अन्धक योग बनता है माना जाता है ऐसे व्यक्तियों को जीवन भर परिश्रम करना पड़ता है ऐसे व्यक्तियों को संघर्ष करना पड़ता है ऐसे व्यक्तियों को आँख, सर, और हड्डियों से सम्बंधित समस्याए हो सकती है यदि सूर्य और शनि एक साथ हो तो ऐसे व्यक्ति का पिता से भी मतभेद होता रहता है यदि कुंडली में सूर्य और शनि एक साथ हो और शनि की द्रष्टि एक नंबर राशि पर पड़ रही हो तो आँखों की समस्या हो सकती है |
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