शाबर मंत्र के बारे में पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान् शिव और पार्वती ने जिस समय अर्जुन के साथ किरात वेश में युद्ध किया था, उस समय पार्वती व शिव के बीच बोल चाल को लेकर आपस में कुछ प्रशन्न व उत्तर हुए। चूंकि तंत्र विद्या के आदि देव उस समय शबर वेष में थे तथा आद्य शक्ति माँ पार्वती शबरी वेष में थीं । अतः उनके द्वारा प्रयोग होने वाले इन मंत्रो को शाबर मंत्र कहलाये |
साथ ही कुछ विद्वानों की यह मत है कि कलियुग के तपस्वी महर्षि श्री मत्स्येन्द्र नाथ के काल से शाबर मंत्र की प्रक्रिया शुरू हुई क्योंकि वैदिककाल ऐसे मंत्रो के बारे में नही बताया गया । श्री मत्स्येन्द्रनाथ के शिष्य गुरु गोरख नाथ चमत्कारी तांत्रिक के रूप में विश्व में जाने हुए। गुरु गोरखनाथ ने जनहित में लोकभाषा में कुछ मन्त्र बनाये। ये मंत्र अब शाबर मंत्र के नाम से प्रसिद्ध है।
शाबर मंत्र शीघ्र व तुरंत चमत्कारी प्रभाव के लिए विख्यात है। सर्प-बिच्छु के झाडे से लेकर भूत-प्रेत निकालने हेतु शाबर मंत्रो का ही प्रयोग होता है। ग्रामीण सभ्यता शाबर मंत्र से ही प्रभावित है। शाबर मंत्र की गुप्त शक्ति एवं इनकी उत्पत्ति का रहस्य विद्वानों के लिए आज भी शोध का विषय बना हुआ है।
शाबर मंत्रो की विशेषताए-
1. कहा जाता है वैदिक मंत्र या अन्य किसी तांत्रिक मंत्रो की तरह इसमें ध्यान, की आवश्यकता नहीं होती। शाबर मंत्र को बिना ध्यान के होते हैं, जिसमें अनुष्ठान, हवनादि की अपेक्षा भी नहीं रहती।
2. कुछ लोग शाबर मंत्र को जंगली मन्त्र भी कहते हैं, क्योकि ये अर्थ एवं उच्चारण की द्रष्टि से अशुद्ध माने जाते हैं। ये मंत्र ग्रामीण सभ्यता के प्रतीक हैं तथा गंवारू बोलचाल की भाषा से शब्द बने हुए हैं।
3. वैदिक मन्त्र प्रायः स्तुतिपूरक होते हैं। अपने इष्ट देव की ओर उदृिष्ट होकर साधक अपना इच्छानुसार कार्य करने के लिए देवता से अनुरोध करता है तथा देवता खुश होकर साधक का कार्य करते हैं। वहि शाबर मंत्र एकदम उलटे होते हैं। शाबर मंत्र में आराध्य देव को सेवक या नौकर की भांति हुक्म दी जाती है। इसमें, साधक देवताओं पर हावी होने की कोशिश करता है तथा लक्षित देवता से चुनौती पूर्ण भाषा में बात करता है।
4. सबसे खास बात यह है जो केवल शाबर मंत्र में पाई जाती है कि मन्त्र के अन्त में अनिवार्य रूप से पूर्ण आत्मविश्वास के साथ कहा जाता है |
5. अन्य मंत्रो की साधना, शुध्धि,सांयकाल, पूजा, अर्चना इत्यादि का ध्यान रखते हुए बड़ी पवित्रता से की जाती है। शाबर मंत्र में शुद्धि, पवित्रता पर भी कोई ध्यान नहीं किया जाता।
6. शाबर मंत्र के जानकार लोगो की आत्मशक्ति अच्छी मानी जाती है। माना जाता है ये लोग निर्भीक, साहसी व अहंकारी होते हैं। इन्हें अपनी शक्ति पर बड़ा भयंकर घमंड होता है तथा प्रत्येक मन्त्र में इस बात को कहते हैं कि मेरी शक्ति, गरु की भक्ति। ऐसा प्रतीत होता है कि शाबर मंत्र में गुरु की भक्ति को उच्च माना गया है। इससे यह सिद्ध होता है कि 'आत्म-शक्ति' शाबर मंत्र की सफलता की मुख्य कडी है।
7. शाबर मंत्र की सबसे प्रमुख विशेषता है गुरु की भक्ति। अपने प्रत्येक मन्त्र में साधक गुरु की भक्ति की दुहाई देते है, और गुरु को हमेशा स्मरण करते है। शाबर मंत्र के उपासक गुरु की ताकत को देवताओ की शक्तियों से भी अधिक मानते हैं। उनकी मान्यता है गुरु के नाम में अपूर्व शक्ति होती है और यही कारण है कि गुरु के प्रति अथक श्रद्धा और भक्ति के माध्यम से शाबर मंत्र तुरन्त फलदायी होते हैं।
8. जहां वैदिक व अन्य तांत्रिक मन्त्रों की भाषा अच्छी मानी जाती ,वहि शाबर मंत्रो में गाली-गलौच जैसी भाषा का इस्तेमाल किया गया है तथा साधक अपने देवता को बड़ी-से-बड़ी कसमें देता है जबकि एक शिष्ट व सज्जन व्यक्ति अपने पूज्य देवता के प्रति ऐसी सोच व भावना कभी नहीं रख सकता, वैसे वाक्य इन मन्त्रों को जानने वाले बेझिझक बोल जाते हैं।
तीनलोक नव खण्ड में , गुरु से बड़ा न कोय ।
करता करै न करि सके , गुरु करे सो होय ।।
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शाबर मंत्र भाग-1
शाबर मंत्र भाग-2
शाबर मंत्र भाग-3
शाबर मंत्र भाग-4
शाबर मंत्र भाग-5
शाबर मंत्र भाग-6
शाबर मंत्र भाग-7
शाबर मंत्र भाग-8
शाबर मंत्र भाग-9
शाबर मंत्र भाग-10
शाबर मंत्र भाग-11
शाबर मंत्र भाग-12
शाबर मन्त्र सागर
शाबर शक्ति पाठ
शाबरी विद्या
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