कुंडली में केतु की महादशा पर आपको क्या फल मिलेगा ..जाने..
महात्मा राव' ण की पुस्तक राव 'ण सहिंता के पांचवे खंड में ज्योतिष विद्या का उल्लेख है जिसमे काफी सटीक जानकारी प्राप्त होती है | रावण सहिंता से प्राप्त जानकारी के अनुसार किसी भी व्यक्ति की कुंडली में केतु की महादशा आने पर उस व्यक्ति के जीवन पर सामान्य फलादेश क्या प्राप्त होंगे उसकी जानकारी सांझा करूँगा
कुंडली में केतु की महादशा का फल
केतु की महादशा में सामान्य रूप सामान्य रूप से विषाद, रोग, भय, विषाद, रोग, भय, संकट, अनर्थ, जीवन पर गहरा प्राण संकट आदि अशुभ फलों की प्राप्ति होती है। केतु के उच्च राशिस्थ अथवा शुभ ग्रह से दृष्ट होने पर वह शुभ फल प्रदान करता है तथा नीचस्थ अथवा पापी ग्रह से दृष्ट होने पर वह अशुभ फल प्रदान करता है। केतु पर अन्य ग्रहों की दृष्टि विशेष प्रभाव डालती है।
केतु का राशियों में फलादेश
- मेष राशि में होने पर धन, यश तथा आकस्मिक लाभ प्राप्त होता है।
- वृष में होने पर हानि, का पीड़ा, चिन्ता तथा भय बना रहता है।
- मिथुन राशि में होने से रोग, पीड़ा, मित्र - विरोध तथा यश आदि फल मिलते हैं।
- कर्क में होने पर मित्र, स्त्री, पुत्र का सुख, अनेक प्रकार के सुख आदि लाभ प्राप्त होता है।
- सिंह में हो तो अल्प सुख एवं अल्प धन लाभ होता है।
- कन्या में होने से नवीनतम कार्यों में रुचि, सत्कर्मों में रुचि एवं प्रसिद्धि लाभ प्राप्त होता है ।
- तुला में होने से आय लाभ, व्यसनों में रुचि, कार्य में हानि होती है ।
- वृश्चिक में होने पर आदर, सम्मान, धन, स्त्री का लाभ, कफ-रोग, बन्धन, कष्ट आदि प्राप्त होते हैं।
- धनु में होने पर भय, कलह, आंखों का रोग, शिरोरोग आदि संकट का सामना करना पड़ता है।
- मकर में होने पर व्यापार-व्यवसाय में सफलता तथा नवीन कार्यों में हानि होती है।
- कुंभ में होने से आर्थिक कष्ट, मित्र विरोध, पीड़ा आदि कष्ट होते हैं।
- मीन में होने से अचानक धन लाभ, यश, कीर्ति तथा विद्या का लाभ प्राप्त होता है।
केतु का कुंडली के सभी भावो में सामान्य फलादेश
- प्रथम भाव में होने पर शारीरिक अशक्तता तथा कई रोग हो जाते हैं।
- द्वितीय भाव में होने पर ऋणग्रस्तता, पराधीनता एवं मानसिक कष्ट बने रहते हैं।
- तृतीय भाव में होने से मित्र पर विरोध होता है परन्तु पराक्रम में वृद्धि होती है।
- चतुर्थ भाव में होने पर स्त्री, पुत्र से क्लेश, लोकापवाद आदि होता है।
- पंचम भाव में होने पर बुद्धि का नाश, विद्या से अपयश तथा हानि होती है।
- षष्ठ भा में होने पर मामा की मृत्यु, शारीरिक कष्ट तथा स्वपराक्रम से धन लाभ प्राप्त होता है।
- सप्तम भाव में होने पर अनिष्ट फलों की प्राप्ति होती है, परंतु वृश्चिक राशि में हो तो शुभ होता है।
- अष्टम भाव होने पर पिता की मृत्यु, आर्थिक कष्ट तथा प्रतिकूल स्थितियां होती हैं।
- नवम भाव में होने पर परोपकार, धर्माचरण परंतु गृहस्थ संकट उत्पन्न होता है।
- दशम भाव में होने पर आरंभ में विघ्न, रुकावट परंतु बाद में व्यापार-व्यवसाय में लाभ होता है।
- एकादश भाव में होने से भवन, भूमि, धन् मित्रता आदि का लाभ प्राप्त होता है।
- द्वादश भाव में होने से लोक-निन्दा, विदेश वास तथा धन क नाश आदि अशुभ फल प्राप्त होते हैं।
महादशा क्या होती है व उनके प्रकार
- कुण्डलीं में बुध की महादशा सामान्य फल ..राव' ण सहिंता के अनुसार..
- कुंडली में गुरु की महादशा पर आपको क्या फल मिलेगा ..जाने
- कुंडली में केतु की महादशा पर आपको क्या फल मिलेगा ..जाने..
- कुण्डलीं में मंगल की महादशा सामान्य फल ..राव' ण सहिंता के अनुसार..
- कुण्डलीं में राहु की महादशा सामान्य फल ..राव' ण सहिंता के अनुसार..
- कुण्डलीं में शनि की महादशा सामान्य फल ..राव' ण सहिंता के अनुसार..
- कुंडली में शुक्र की महादशा में आपको क्या मिलेगा ...जाने ...
- कुंडली में चन्द्र की महादशा पर आपको क्या फल मिलेगा ..जाने
- सूर्य का सामान्य फलादेश
एक टिप्पणी भेजें
0 टिप्पणियाँ